आर्गेनिक फ़ूड ईन डिमांड प्लेलिस्ट के इस एपिसोड में आज मैं बात करूँगी अप्रैल महीने में फल के बगीचे में स्प्रे ,और अपने इस्तेमाल के लिए लगाई गई सब्जियों की क्यारी में क्या क्या कर सकते है ।
आप बगीचे मे काम करते हुए, घर पर काम करते हुए, गाड़ी में सफर करते हुए ,आर्चर्ड डायरी पाडकास्ट आराम से स्पॉटीफाई पर सुन सकते है ।
All about the horticulture and agriculture field practice.
This podcast explain the basic of javik kheti. This is exclusiviely orchard diary podcast.
#OrchardDiary #JaivikKheti
अप्रैल का महीना सेब के बगीचों में फूल खिलने तथा फल अवतरण यानी फ्रूट सेट का समय है | साल भर की मेहनत केवल अभी के 15 दिन पर ही निर्भर करती है ।
आच्छादन यानी मल्चिंग एवं वाफसा द्वारा तौलियों में नमी बने रहने पर विशेष ध्यान देंने की जरुरत है । यदि उपलब्ध हो तो घनजीवामृत का प्रयोग कर लेना चाहिए | जीवामृत का छिड़काव एवं मिट्टी में प्रयोग- दोनों तरीकों से कर सकते है | इसके साथ साथ आपको अग्निअस्त्र भी तैयार रखना होगा इसका प्रयोग आप आवश्यकता अनुसार तना कीट और फलों में लगने वाली सुंडियो को नियंत्रित करने के लिए कर सकते है।
बागवान भाइयों और बहनों अगर आपने अभी तक किसी सब्जी की बिजाई नही की है तो देर मत करिए । बीन्स को बीजने का यह सही वक्त है । इसके अतिरिक्त आप पालक ,धनिया ,बैगन ,पत्तागोभी, खीरा, कदू, टमाटर और भिंडी जैसी सब्जियों को बीज सकते है। और सेब के बगीचे में एहतियातन यानी बचाव के तौर पर खट्टी लस्सी का छिड़काव अप्रैल महीने में एक बार जरूर करें |इससे फफूंदी रोग से छुटकारा मिलता है।
एक और बात जो ध्यान देना जरूरी है ।
इस महीने में मौसम में बहुत से बदलाव होते है, एकदम से ठंड, एकदम गर्मी, बारिश , तेजहवा आदि । इस तरह से बदलता मौसम फंफूद और कवक जनित रोगों को फैलने का सबसे सही समय होता है । इस तरह के मौसमी बदलावों से पनपने वाली बिमारियों के लिए जरूरत पड़ने पर सोंठास्त्र इस्तेमाल कर सकते है । और जब फल का विकास मटर के दाने जितना हो जाए तो उस अवस्था में सप्तधान्यांकुर अर्क का छिड़काव जरूर कर लेना चाहिए ।
बागवान दोस्तो अब बात करते है कि आर्गेनिक तरीके से अपनी फसल का ध्यान किस तरह रखा जा सकता है ।
आइए जानते है कि छिड़काव यानी स्प्रे का घोल कितनी मात्रा में बनाया जाना चाहिए ।
पहले बात करते है जीवामृत के छिड़काव की ।
170 लीटर पानी मे 30 लीटर जीवामृत का घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करना है । आइए अब जानते है मिट्टी में जीवामृत डालने की मात्रा ,
छोटे पौधों में 2 लीटर प्रति पौधा जीवामृत डालना है ,
मध्यम आकार के पौधों में 4 से 5 लीटर और
बड़े पेड़ों में 5 से 7 लीटर जीवामृत डाल सकते है ।
अग्निअस्त्र एवं खट्टी लस्सी को भी आप इसी तरह से इस्तेमाल कर सकते है ।
6 लीटर अग्निअस्त्र एवं खट्टी लस्सी प्रति 194 लीटर पानी मे घोल बनाकर डाल सकते है |
इसी तरह से घनजीवामृत को भी पौधों के तौलियों में डाला जा सकता है । घनजीवामृत की मात्रा इस तरह रहेगी ।
छोटे पौधों में 2 लीटर प्रति पौधा,
मध्यम आकार के पौधों में 3 लीटर और
बड़े पेड़ों में 4 लीटर घनजीवामृत डाल सकते है ।
बागवान भाइयों सघन खेती , मतलब कि हाई डेनसिटी खेती में 1 लीटर एवं अति सघन खेती अल्ट्रा हाई डेनसिटी में 0.5 मतलब कि आधा लीटर प्रति पौधा घन जीवामृत डाल सकते है ।
तो ये थी आर्गेनिक तरीके से फलदार पौधों की देखभाल के बारे में कुछ जानकारी ।
अब इसके साथ-साथ हम बात करेंगे कि हमे सब्जियों की क्यारी में क्या -क्या करने की जरुरत रहती है ।
गोभी वर्गीय फसलों, टमाटर और शिमला मिर्च की फसलों में नर्सरी अथवा प्रतिरोपण के बाद जीवामृत से सिंचाई करने की आवशयकता है । कमर तोड़ रोग की रोकथाम के लिए खट्टी लस्सी का छिड़काव किया जा सकता है । फूलगोभी में कीटों एवं माईट के नियंत्रण के लिए दशपर्णी अर्क/अग्निअस्त्र ( 195 लीटर पानी में 5 लीटर) और खट्टी लस्सी का छिड़काव किया जा सकता है ।
और बीन्स की बुआई के दौरान 80 कि. ग्राम प्रति बीघा के हिसाब से घनजीवामृत डाल सकते है । बीजों को बोने से 24 घंटे पूर्व इन्हे बीजामृत से उपचारित करने की भी जरुरत होती है । यदि आपने मटर बीजे है तो मटर में मिल्डयू, विल्ट, ब्लाइट जैसे रोगों की रोकथाम के लिए 5 लीटर खट्टी लस्सी को 195 लीटर पानी में घोल बनाकर स्प्रे कर सकते है।
और लीफ माइनर की रोकथाम के लिए 5 लीटर दशपर्णी अर्क या अग्निअस्त्र को 195 लीटर पानी में घोल बनाकर इस्तेमाल किया जा सकता है तथा फूल और फली लगने की अवस्था में सप्तधान्यांकूर अर्क का स्प्रे कर सकते है । जिससे मटर की फली में पूरा दाना, और चमक आयेगी।
सेब के बगीचे में गेहूं की फसल तो किसी ने नही उगाई होगी फिर भी अगर किसी से उगाई है या अलग से भी किसी ने गेहूं बीजे है तो गेहूं में बिना पानी मिलाए सप्तधान्यांकुर अर्क का इस्तेमाल कर सकते है । 170 लीटर पानी मे 30 ळीटर जीवामृत का घोल बनाकर स्प्रे की जा सकती है । और इसी तरह से 195 लीटर पानी में 5 लीटर खट्टी लस्सी का घोल बनाकर छिड़काव भी कर सकते है ।
बागवान दोस्तों ये थी अप्रेल महीने मे सेब बगीचे मे आर्गेनिक फसल लेने के बारे मे जानकारी । आप अपने प्रयोगो पर आधारित अनुभवों को हमारे साथ इस मंच के माध्यम से साझा कर सकते है ।
और अगर आपको इस जानकारी से वैल्यू मिली हो तो आर्चड डायरी को अपने साथी दोस्तों को वाट्साइप पर शेयर करें ।
फिर मिलेगे अगले किसी नए विषय के साथ , तब तक आप अपना ख्याल रखिए और अपने बागीचे का भी ।