और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहाँनी है ।

शायरी – दिल से दिल तक

Jaane anjaane me

Jaane anjaane me

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जाने अन्जाने मे कहीं मुलाकात हो गई, कुछ शरारत और कुछ ख्वाबों के रहते बात हो गई ।किसने सोचा था बदल जाएगा रुख जिंदगी का, आज देखते ही देखते तेरी मोहब्बत मेरी सौगात हो गई ॥ अज्ञात

Zakham Gehra ho

Zakham Gehra ho

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जख्म गहरा हो, पर दिखाना तुम्हें है, खुशी का आलम हो, पर सुनाना तुम्हें है ।क्या नाम दूं अपनी इस चाहत को,रूठना भी तुमसे है और मनाना भी तुम्हें है ॥ अज्ञात

esa koi aalam ho

esa koi aalam ho

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काश ऐसा कोई आलम हो, पूरी कायनात तेरा अह्सास दिलाए ,ये हवाएं जो मेरे पास आए, तेरे आने का ही पैगाम लाए ।तुझे न रहे कभी कदर मेरे प्यार की, तो तुझसे आखरी मुलाकात भी हो और मेरी सांसे भी…

kisi ke saath

kisi ke saath

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काश हम किसी के साथ मुस्कुराए न होते, काश हम किसी के मन की जान पाए न होते।हर दर्द मन में छुपा कर बैठे है हरपल ,काश हम इस मतलबी दुनियां में आए ही न होते ॥ अज्ञात

kaash koi esa manjar ho

kaash koi esa manjar ho

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काश ऐसा कोई मंजर हो ,जहां सांसे रुक जाने का आलम हो ।तेरा अहसास हो, तेरा ही ख्याल हो, तेरा साथ हो बाकी कुछ न याद हो ॥ अज्ञात